अशोक का चौदहवाँ बृहद् शिलालेख

भूमिका

चौदहवाँ बृहद् शिलालेख ( Fourteenth Major Rock Edict ) सम्राट अशोक के चतुर्दश बृहद् शिलालेखों में से चतुर्दश शिला प्रज्ञापन है। अशोक महान् ने भारतीय उप-महाद्वीप में ‘आठ स्थानों’ पर ‘चौदह बृहद् शिलालेख’ या चतुर्दश बृहद् शिला प्रज्ञापन ( Fourteen Major Rock Edicts ) संस्थापित करवाये थे। प्रस्तुत मूलपाठ ‘गिरिनार संस्करण’ का मूलपाठ है। चतुर्दश बृहद् शिला प्रज्ञापनों में से गिरनार संस्करण सबसे सुरक्षित अवस्था में पाया गया है। ।

चौदहवाँ बृहद् शिलालेख : संक्षिप्त परिचय

नाम – अशोक का चौदहवाँ बृहद् शिलालेख या चतुर्दश बृहद् शिलालेख ( Ashoka’s Fourteenth Major Rock Edict )

स्थान – गिरिनार, गुजरात

भाषा – प्राकृत

लिपि – ब्राह्मी

समय – मौर्यकाल

विषय – १४वाँ बृहद् शिलालेख सभी १४ शिलालेखों के उपसंहारात्मक स्वरूप का है। इसमें लिपि को धर्मलिपि कहा गया है।

चौदहवाँ बृहद् शिलालेख : मूलपाठ

१ – [ अयं धंमलिपी देवानं प्रियेन प्रियदसिना राञा लेखापिता ] [ । ] अस्ति एव

२ – संखितेन अस्ति मझमेन अस्ति विस्ततन [ । ] न च सवं सवत घटितं [ । ]

३ – महालके हि विजितं बहु च लिखितं लिखापयिसं चेव [ । ] अस्ति च एत कं

४ – पुन पुन वुतं तस तस अथस माधूरताय [ । ] किंति जनो तथा पटिपजेथ [ । ]

५ – तत्र एकदा असमातं लिखितं अस देसं व सछाय कारणं व

६ – अलोचेत्पा लिपिकरणापरधेन व [ । ]

संस्कृत छाया

इयं धर्म लिपिः देवानां प्रियेण प्रियदर्शिना राज्ञा लेखिता। अस्ति एव संक्षिप्तेन अस्ति मध्यमेन अस्ति विस्ततेन। न च सर्वत्र घटितम्। महल्लकम् हि विजितम्। बहु च लिखितम् लेखयिष्यामि च नित्यम्। अस्ति च एतत् पुनः उक्तं तस्य अर्थस्य माधुर्याय। किमिति? जनः तथा प्रतिपद्येत। अत्र एकदा असमाप्तं लिखितं स्यात् देशं वा संक्षयकारणं वा आलोच्य लिपिकारापराधेन वा।

हिन्दी अर्थान्तर

१ – यह धर्मलिपि देवों के प्रिय प्रियदर्शी राजा द्वारा लिखवायी गयी।

२ – [ कहीं यह ] संक्षिप्त है, [ कहीं ] मध्यम है [ और कहीं ] विस्तृत है। क्योंकि सर्वत्र सब घटित ( उपयुक्त ) नहीं होते।

३ – [ मेरा ] विजित ( राज्य ) बड़ा ( महान ) है। [ मेरे द्वारा ] बहुत लिखा गया और [ मैं नित्य ( लगातार, बराबर ) लिखवाऊँगा।

४ – यहाँ ( इसमें ) [ कहीं-कहीं एक ही बात ] बार-बार ( पुनः पुनः ) उस अर्थ के मधुरता ( माधुर्य ) के लिए लिखी ( कही ) गयी है। क्यों? [ इसलिए कि ] जन ( लोग, मनुष्य ) वैसा व्यवहार करें।

५ – यह भी हो सकता है कि यहाँ जो कुछ ( एक ) [ आध ] बार असमाप्त ( अधूरा ) लिखा गया हो [ वहाँ ] देश के कारण वा कारण की पूरी

६ – आलोचना के वा लिपिकार के अपराध ( दोष ) से हो।

प्रथम बृहद् शिलालेख

द्वितीय बृहद् शिलालेख

तृतीय बृहद् शिलालेख

चतुर्थ बृहद् शिलालेख

पाँचवाँ बृहद् शिलालेख

छठा बृहद् शिलालेख

सातवाँ बृहद् शिलालेख

आठवाँ बृहद् शिलालेख

नवाँ बृहद् शिलालेख

दसवाँ बृहद् शिलालेख

ग्यारहवाँ बृहद् शिलालेख

बारहवाँ बृहद् शिलालेख

तेरहवाँ बृहद् शिलालेख

 

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