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स्कंदगुप्त का भीतरी स्तम्भलेख

भूमिका स्कंदगुप्त का भितरी स्तम्भलेख या भीतरी स्तम्भलेख उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के अन्तर्गत सैदपुर से पाँच मील उत्तर-पूर्व स्थित भितरी नामक ग्राम में खड़े लाल पत्थर के एक स्तम्भ पर उत्कीर्ण है। यह स्तम्भ सम्भवतः उस मन्दिर के आगे लगा ध्वज था जिसके छेंकन आदि के कुछ भाग काशी विश्वविद्यालय द्वारा कराये गये […]

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पाँचवाँ गढ़वा अभिलेख, गुप्त सम्वत् १४८ ( ४६७ ई० )

भूमिका पाँचवाँ गढ़वा अभिलेख उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जनपद के बारा तहसील से गढ़वा नामक स्थल से दशावतार मन्दिर के भग्नावशेषों में प्राप्त चबूतरे के किनारे पर लगा हुआ मिला है। सम्प्रति यह भारतीय संग्रहालय, कोलकाता में संग्रहित हैं। इस अभिलेख को १८७४-७५ या १८७६-७७ में एलेक्जेंडर कनिंघम महोदय ने प्राप्त किया था। कनिंघम महोदय

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इंदौर ताम्र-लेख – गुप्त सम्वत् १४६ ( ४६५ ई० )

भूमिका इंदौर ताम्र-लेख उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद के अंतर्गत अनुपशहर तहसील के इंदौर ग्राम के एक नाले में पड़ा हुआ ए० सी० एल० कार्लाईल को १८७४ ई० में मिला था। लगभग ८ इंच लंबे और साढ़े पाँच इंच चौड़े ताम्र-फलक पर अंकित है। कनिंघम महोदय ने इसको प्रकाशित किया। तत्पश्चात् जे० एफ० फ्लीट महोदय

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सुपिया स्तम्भ-लेख

भूमिका सुपिया स्तम्भ-लेख मध्य प्रदेश के रीवा जनपद से सुपिया ग्राम के निकट से १९४३-४४ ई० में मिला है। वर्तमान में यह धुबेला संग्रहालय, मध्य प्रदेश में संरक्षित रखा गया है। इसका उल्लेख सबसे पहले बहादुरचन्द्र छाबड़ा ने किया। तत्पश्चात् दिनेशचन्द्र सरकार ने इसको सम्पादित करके प्रकाशित किया। संक्षिप्त परिचय नाम :- स्कंदगुप्त का सुपिया

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कहौम स्तम्भ-लेख

भूमिका स्कंदगुप्त का कहौम स्तम्भ-लेख उत्तर प्रदेश राज्य के देवरिया जनपद में कहौम नामक ग्राम में स्थापित एक स्तम्भ है। इस स्तम्भ पर पाँच तीर्थंकरों की मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं और यह लेख अंकित है। कहौम को कहाँव और कहाऊँ ( Kahaon ) भी लिखा जाता है। उत्तर प्रदेश का सर्वेक्षण करते समय १८०६ और १८१६

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स्कंदगुप्त का जूनागढ़ अभिलेख

भूमिका स्कंदगुप्त का जूनागढ़ अभिलेख सौराष्ट्र में जूनागढ़ से एक मील पूरब स्थित गिरनार नामक पर्वत के उस प्रस्तर खण्ड पर यह लेख अंकित है, जिस पर महाक्षत्रप रुद्रमदामान का प्रख्यात अभिलेख है। इसके ज्ञात होने की सूचना सर्वप्रथम १८३८ ई० में जेम्स प्रिंसेप ने प्रकाशित की थी। १८४३ ई० में रायल एशियाटिक सोसाइटी की

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मथुरा मूर्ति-लेख; गुप्त सम्वत् १३५ ( ४५४ ई ० )

भूमिका मथुरा मूर्ति-लेख मथुरा-कारागार के निकट स्थित टीले से प्राप्त बुद्ध की एक खड़ी बुद्ध प्रतिमा के पादासन पर अंकित है सम्प्रति केवल पादासन और उसके ऊपर का कुछ ही भाग उपलब्ध है जिसमें केवल चरण-भाग और उसके बीच बैठी एक छोटी सी आकृति है। सम्भवतः यह अब लखनऊ संग्रहालय में है। इस लेख को

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साँची प्रस्तर लेख : गुप्त सम्वत् १३१ ( ४५० – ५१ ई० )

भूमिका साँची प्रस्तर लेख मध्य प्रदेश के रायसेन जनपद में स्थित साँची महास्तूप के पूर्वी द्वार के दक्षिण बीच की वेदिका की चौथी पंक्ति तथा कोने के भाग में अंकित है। इसको कैप्टेन एडवर्ड स्मिथ ने ढूँढ निकाला था और जेम्स प्रिंसेप ने उसका पाठ और अनुवाद प्रकाशित किया। तत्पश्चात् जे० एफ० फ्लीट ने अपने

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मनकुँवर अभिलेख – गुप्त सम्वत् १२९ ( ४४८ – ४९ ई० )

भूमिका मनकुँवर अभिलेख बैठी हुई एक बुद्ध-मूर्ति के आसन के नीचे अंकित है, जो १८७० ई० भगवानलाल इन्द्रजी को प्रयागराज जनपद अन्तर्गत करछना तहसील के अरैल से ६ मील पर यमुना के दाहिने तट पर स्थित, मानकुँवर नामक ग्राम के उत्तर-पूर्व पंच-पहाड़ नामक टीले पर मिली थी। १८८० ई० में पहले एलेक्जेंडर कनिंगहम ने इसका

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जगदीशपुर ताम्रलेख; गुप्त सम्वत् १२८ ( ४४७ – ४८ ई० )

भूमिका जगदीशपुर ताम्रलेख एक ताम्र-फलक पर अंकित है जिसे १९६२ ई० में राजशाही (बंगलादेश) के वारेन्द्र रिसर्च सोसाइटी ने राजशाही जिले के ही जगदीशपुर ग्राम के किसी व्यक्ति से प्राप्त किया था। कहा जाता है कि बहुत वर्ष पूर्व वह कुआँ खोदते समय १५ फुट की गहराई पर मिला था; किन्तु यह कथन बहुत विश्वसनीय

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