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नन्दपुर ताम्र-लेख; गुप्त सम्वत् १६९ ( ४८८ ई० )

भूमिका नन्दपुर ताम्र-लेख १६२९ ई० में कलकत्ता के गणपति सरकार को मुँगेर (बिहार) जिला अन्तर्गत सूरजगढ़ा से दो मील उत्तर-पूर्व नन्दपुर नामक ग्राम स्थित एक जीर्ण मन्दिर के ताक में जड़ा एक ताम्र- फलक मिला था। उसी पर यह लेख अंकित था। इसे न० ज० मजूमदार ने प्रकाशित किया। हाल में मजूमदार द्वारा व्यक्त विचारों […]

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शंकरगढ़ ताम्र-लेख; गुप्त सम्वत् १६६ (४८५ ई०)

भूमिका शंकरगढ़ ताम्र-लेख जून १९७७ में मध्य प्रदेश के सिद्दी जनपद के गोपद बनास (Gopad Banas ) तहसील के शंकरपुर ग्राम में एक विद्यार्थी को प्राप्त हुआ था। यह लेख २४ x ११ सेंटीमीटर आकार के ताम्रपत्र के एक ओर अंकित है। दाहिने ओर का ऊपर और नीचे का कोना क्षतिग्रस्त है; जिसके कारण प्रथम

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एरण स्तम्भलेख; गुप्त सम्वत् १६५ ( ४८४ ई० )

भूमिका एरण स्तम्भलेख मध्यप्रदेश के सागर जनपद के एरण नामक ग्राम से मिला है। एरण गाँव से आध मील दूर प्राचीन मंदिरों का एक समूह से मिला है उसके निकट ही लाल पत्थर का एक ऊँचा स्तम्भ खड़ा है, उसी के निचले चौकोर भाग पर यह लेख अंकित है। इसे १८३८ ई० में कप्तान टी०

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दामोदरपुर ताम्र-लेख ( तृतीय ); गुप्त सम्वत् १६३ ( ४८२ ई० )

भूमिका दामोदरपुर (बंगलादेश) से प्राप्त पाँच ताम्र-लेखों में यह तीसरा लेख है। इसलिये इसको दामोदरपुर ताम्र-लेख ( तृतीय ) कहा गया है। इसे राधागोविन्द बसाक ने प्रकाशित किया है। संक्षिप्त परिचय नाम :- दामोदरपुर ताम्र-लेख ( तृतीय ) [ Damodarpur Copper Plate Inscription Of Budhgupta ] स्थान :- दामोदरपुर, उत्तरी बाँग्लादेश का रंगपुर जनपद। भाषा

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मथुरा पादासन-लेख; गुप्त सम्वत् १६१ ( ४८० ई० )

भूमिका मथुरा पादासन-लेख एक चौकोर शिला-खण्ड पर अंकित है। यह किसी मूर्ति का पदासन रहा होगा। मूर्तिभाग के नाम मात्र चिह्न उपलब्ध है। लेख से प्रतीत होता है कि यह कोई बौद्ध-मूर्ति रही होगी। इसे १९८२ ई० में मथुरा संग्रहालय ने किसी पुरावस्तु विक्रेता से क्रय किया है। उसे यह कहाँ से प्राप्त हुआ था

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राजघाट स्तम्भलेख; गुप्त सम्वत् १५९ ( ४७८ ई० )

भूमिका बुधगुप्त का राजघाट स्तम्भलेख ४ फुट ४ इंच उँचे एक स्तम्भ पर अंकित है। इसके चारों ओर भगवान विष्णु के चार अवतारों की मूर्तियाँ उकेरी गयी हैं। यह स्तम्भ वाराणसी के काशी रेलवे स्टेशन के निकट १९४०-४१ ई० में मिट्टी निकालते समय में प्राप्त हुआ था। सम्प्रति यह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ‘भारत कला

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पहाड़पुर ताम्रलेख; गुप्त सम्वत् – १५९ ( ४७८ ई० )

भूमिका पहाड़पुर ताम्रलेख १९२७ ई० में राजशाही (बंगलादेश) जनपद के अन्तर्गत बादलगाछी थाना के पहाड़पुर नामक स्थान पर उत्खनन किये जाने पर एक महाविहार के ध्वंसावशेष प्रकाश में आये। उस महाविहार के आँगन में एक ताम्रफलक मिला था; उसी पर यह लेख अंकित है। इसे काशीनाथ नारायण दीक्षित ने प्रकाशित किया है। संक्षिप्त परिचय नाम

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बुधगुप्त का सारनाथ बुद्ध-मूर्ति-लेख; गुप्त सम्वत् १५७ ( ४७६-७७ ई० )

भूमिका बुधगुप्त कालीन सारनाथ बुद्ध-मूर्ति-लेख १९१४-१५ ई० में पुरातात्त्विक स्थल सारनाथ के उत्खनन के समय मिली है। सारनाथ को प्राचीन काल में ऋषिपत्तन और मृगदाव भी कहा जाता था। भगवान बुद्ध ने अपना पहला धर्मोपदेशक यहीं दिया था। सारनाथ से ही इसी अभिलेख के साथ में कुमारगुप्त (द्वितीय) के लेख वाली मूर्ति भी मिली है।

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पूरुगुप्त-पुत्र का बिहार स्तम्भ-लेख

भूमिका बिहार स्तम्भ-लेख एक प्रस्तर-स्तम्भ पर अंकित है जो बिहार (पटना) के प्राचीन दुर्ग के उत्तरी द्वार पर पड़ा हुआ मिला था। इसे बिहार के मजिस्ट्रेट ए० एम० ब्राडले उठा लाये और बिहार कचहरी के सामने एक चबूतरे पर उल्टा खड़ा कर दिया और उस पर आँग्ल भाषा में एक लेख अंकित कर दिया था।

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सारनाथ बुद्ध-मूर्ति लेख; गुप्त सम्वत् १५४ ( ४७३ ई० )

भूमिका सारनाथ बुद्ध-मूर्ति लेख १९१४-१५ ई० में सारनाथ (वाराणसी) के पुरातात्त्विक उत्खनन में प्राप्त एक बुद्ध मूर्ति के आसन पर अंकित है। वर्तमान में यह सारनाथ संग्रहालय में है। इस अभिलेख को एच० हारग्रीव्ज ने प्रकाशित किया है। संक्षिप्त विवरण नाम :- सारनाथ बुद्ध-मूर्ति लेख स्थान :- सारनाथ, वाराणसी जनपद; उत्तर प्रदेश भाषा :-  संस्कृत लिपि :-

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