स्वातघाटी अस्थि-मंजूषा अभिलेख

भूमिका

स्वातघाटी अस्थि-मंजूषा अभिलेख बौद्ध धर्म से सम्बंधित है। यह स्वातघाटी में स्थित पठानों के किसी गाँव मिली थी। यह अस्थि-मंजूषा सेलखड़ी ( steatite ) की बनी हुई थी जो अब लाहौर संग्रहालय में सुरक्षित बतायी जाती है। इस पर ई०पू० पहली शती के खरोष्ठी लिपि और प्राकृत भाषा में छोटा-सा लेख अंकित है।

संक्षिप्त परिचय

नाम :- स्वातघाटी अस्थि-मंजूषा अभिलेख

स्थान :- स्वात घाटी

भाषा :- प्राकृत

लिपि :- खरोष्ठी

समय :- प्रथम शताब्दी ई०पू०

विषय :- बौद्ध धर्म से सम्बन्धित

स्वातघाटी अस्थि-मंजूषा अभिलेख : मूलपाठ

थेउदोरेन मेरिदर्खेन प्रतिठविद्र इमे शरिर शकमुणिस भगवतो बहुजण- [ हिति ] ये।

हिन्दी अनुवाद

थियोदोर मेरिदर्ख ने बहुजन हिताय इसमें भगवान् शाक्यमुनि बुद्ध का शरीर ( अस्थि-अवशेष ) प्रतिष्ठापित किया।

टिप्पणी

इस अभिलेख से इससे ज्ञात होता है कि मेरिदर्ख थियोदोर नामक किसी यवन ने भगवान् बुद्ध के प्रति अपनी निष्ठा प्रकट कर उनका अस्थि-अवशेष प्रतिष्ठापित करवाया था।

मेरिदर्ख एक यवन उपाधि है और इसका प्रयोग जिलाधिकारी के अर्थ में किया जाता है। अतः अनुमान किया जा सकता है कि थियोदोर स्वात घाटी के आसपास के प्रदेश का प्रशासक रहा होगा। उसका शासन-क्षेत्र काबुल अथवा गन्धार होगा। मेरिदर्ख बौद्ध धर्मावलम्बी था। विदेशी भारतीय धर्म के प्रति आकृष्ट होते रहे हैं, यह अभिलेख इस बात का प्रमाण है।

इस प्रकार स्वातघाटी अस्थि-मंजूषा अभिलेख से निम्न बातें ज्ञात होती हैं :-

  • मेरिदर्ख एक यवन विरुद थी जो की जिले स्तर के पदाधिकारी के लिए प्रयुक्त होता था।
  • विदेशी लोग भारतीय धर्म व संस्कृति को अपना रहे थे। इस सन्दर्भ में बेसनगर गरुड़ध्वज अभिलेख, शिनकोट मंजूषा अभिलेख आदि का भी विशेषरूप से उल्लेख किया जा सकता है। इसके साथ ही मिनाण्डर, कनिष्क, रुद्रदामन इत्यादि शासकों का भी उल्लेख किया जा सकता है।

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