पंजतर अभिलेख

भूमिका

पंजतर अभिलेख वर्तमान पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बुनेर जिले में स्वात और सिन्धु नदी के बीच पहाड़ की तल में स्थित पंजतर नामक स्थान से प्राप्त हुआ है। शैव धर्म से सम्बंधित यह अभिलेख खरोष्ठी लिपि और प्राकृत भाषा में है।

पंजतर अभिलेख : संक्षिप्त परिचय

नाम :- पंजतर अभिलेख ( Panjtar Inscription ), कुषाण राजा का पंजतर प्रस्तर अभिलेख ( Panjtar Stone Inscription of a Kushan King )

स्थान :- पंजतर, बुनेर जिला, खैबर पख्तूनख्वा प्रांत, पाकिस्तान ( Panjtar, Buner district, Khyber Pakhtunkhwa, Pakistan )

भाषा :- प्राकृत

लिपि :- खरोष्ठी

समय :- सं० १२२ ( ६५ ई० )

विषय :- महाराज कुषाण के राज्यकाल में मोयिक द्वारा शिव मंदिर का निर्माण और दो वृक्षों दान। विदेशियों के भारतीयकरण का साक्ष्य।

पंजतर अभिलेख : संक्षिप्त परिचय

१. सं १ [ + ] १०० [ + ] २० [ + ] १ [ + ] १ श्रवणस मसस दि प्रढमे १ महरयस गुषणस रजमि

२. स्पसु अस प्रच— [ देशो ] मोइके उरुभुज-पुत्रे करविदे शिवथले [ । ] तत्र देमे

३. दनभि तरक १ [ + ] १ [ । ] पञकरे णेव अमत शिवथल रम….. म।

संस्कृत अनुवाद

संवत्सरे १२२ श्रावणमासस्य दिवसे प्रथमे महाराजस्य कुषाणस्य राज्ये स्वसुवस्य पूर्वभागः मोइकेन उरुमुज-पुत्रेण कारित शिवे मन्दिरम्। तत्र मे दाने द्वौ वृक्षौ। पुण्यकरं चिरस्थिकं शिवास्थानम्।

हिन्दी अनुवाद

संवत् १२२ के श्रावण मास के प्रथम दिन महाराज गुषण के राज्य [ के अन्तर्गत ] स्वसुव के पूर्व भाग में हुरमुजपुत्र मोयिक ने शिवस्थल बनवाया। वहाँ देमे? ने २ वृक्ष [ दान ] दिया। चिरस्थित ( अमृत ) शिवस्थल में पुष्यकार्य…..।

पंजतर अभिलेख : विश्लेषण

इस अभिलेख का निचला अंश खण्डित है। इसलिए तृतीय पंक्ति का तात्पर्य स्पष्ट नहीं हो पाया है। परन्तु पंक्ति २ से हुरमुजपुत्र मोयिक ( उरमुज-पुत्र मोयिक ) द्वारा शिवस्थल निर्माण कराये जाने की बात स्पष्ट है। इस तरह भारतीय उप-महाद्वीप के पश्चिमोत्तर प्रदेश ( वर्तमान अफगानिस्तान व पाकिस्तान; तत्कालीन गांधार और कम्बोज ) में शैव-धर्म के प्रचलित रहने का साक्ष्य मिलता है। इस संदर्भ में कुषाण-शासक विम-कदफिसेस ( ६५ – ७८ ई० ) के शैव मतानुयाई होने के कारण को सहज रूप में समझा जा सकता है।

गुषण का अर्थ कुषाण है।

  • खरोष्ठी लिपि में आ की मात्रा का अभाव पाया जाता है।
  • प्राकृत भाषा में क को ग रूप में परिवर्तित पाया जाता है।
  • इस तरह गुषण स्पष्टतः कुषाण का प्राकृत रूप है।

अब प्रश्न यह है कि यह कौन से कुषाण शासक थे?

  • कुषाण एक राजवंश था।
  • इसलिए यह अभिलेख किसी कुषाण-शासक के शासनकाल का है।
  • परन्तु कुषाण शासक के नाम का उल्लेख पंजतर अभिलेख में नहीं किया गया है।
  • अतः यह निर्णय करना सहज नहीं है कि यह कुषाण-शासक कौन था।
  • हाँ शैव धर्म से सम्बंधित होने के कारण अभिलेख में उल्लिखित शासक सम्भवतः विम कडफिसेस हो, परन्तु यह एक सम्भावना मात्र है।

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