भूमिका
यह नालंदा मुद्राभिलेख वैन्यगुप्त के शासनकाल का है। यह विहार संख्या – १ के उत्खनन में एक मुहर की मिट्टी की छाप का एक खण्डित अंश प्राप्त हुआ है। इस मुहर के निम्नतम एक तिहाई भाग का मध्य त्रिभुजाकार अंश मात्र है और इस पर मुहर का अन्तिम ४ पंक्तियों के कुछ अंश उपलब्ध हैं। इसे हीरानन्द शास्त्री ने प्रकाशित किया है। इसके आरम्भ की ३ पंक्तियों का पाठ अन्य मुहरों के समान ही रहा होगा।
संक्षिप्त परिचय
नाम :- वैन्यगुप्त का नालंदा मुद्राभिलेख
स्थान :- नालंदा, बिहार
भाषा :- संस्कृत
लिपि :- ब्राह्मी
समय :- गुप्तकालीन, वैन्यगुप्त के शासनकाल का
विषय :- गुप्त राजवंश की वंशावली से सम्बन्धित
मूलपाठ
१. [वतो महाराजधिराज श्रीचन्द्र] गुप्तस्यपुत्र[स्तत्पादानुध्यातो महादेव्यां ध्रुवदेव्यामुत्पन्नो महारा[-]
२. [जाधिराज श्रीकुमारगुप्त]स्तस्य पुत्रस्तत्पादानुद्धतः श्री [महादेव्यामनन्तदेव्यामुत्पन्नो महा[-]
३. [राजाधिराज श्रीपू]रुगुप्तस्तस्य पुत्रस्तत्पादानुद्ध्यातो महादेव्यां श्री[चन्द्रदेव्यामुत्पन्नः]
४. परमभागवतो महाराजाधिराज श्रीवैन्यगुप्तः [।]
हिन्दी अनुवाद
महाराजाधिराज श्री चन्द्रगुप्त।
उनका पुत्र, उनके पाद का अनुयायी (पादानुध्यात), महादेवी ध्रुवदेवी [के गर्भ] से उत्पन्न महाराजाधिराज श्री कुमारगुप्त उनका पुत्र, उनके पाद का अनुयायी (पादानुध्यात), महादेवी अनन्तदेवी [के गर्भ] से उत्पन्न
महाराजाधिराज श्री पूरुगुप्त।
उनका पुत्र, उनके पाद का अनुयायी (पादानुध्यात), महादेवी श्री […….] देवी से उत्पन्न परमभागवत महाराजाधिराज श्री वैन्यगुप्त।