भूमिका
नहपान की पुत्री दक्षमित्रा का नासिक गुहालेख गुफा संख्या १० में बायीं ओर स्थित कोठरी के द्वार के ऊपर अंकित है। इस अभिलेख के नीचे ही उषावदत्त ( ऋषभदत्त ) अभिलेख अंकित है।
संक्षिप्त परिचय
नाम :- नहपानकालीन दक्षमित्रा का नासिक गुहालेख ( Nasik cave Inscription of Dakshmitra of Time of Nahpan )
स्थान :- नासिक, गुहा संख्या – १०, महाराष्ट्र
भाषा :- प्राकृत
लिपि :- ब्राह्मी
समय :- नहपान का शासनकाल ( ≈ ११९ से १२४ वर्ष )
विषय :- नहपान की पुत्री दक्षमित्रा द्वारा धर्मार्थ गुहावास का दान
दक्षमित्रा का नासिक गुहालेख : मूलपाठ
१. सीधं ( ॥ ) रांओ क्षहरातस क्षत्रपतस नहपानस दीहि—
२. तु दीनीकपुत्रस उषवदातस कुडुंबिनिय दखमित्राय देयधम औरवको ( ॥ )
संस्कृत छाया
सिद्धम्। राज्ञः क्षहरातस्य क्षत्रपस्म नहनापस्य दुहितुः दिनीक पुत्रस्य क्षषभदत्तस्य भार्यायाः दक्षमित्रायाः देयधर्मः उपवारकः।
हिन्दी अनुवाद
१. सिद्धम्॥ राजा क्षहरात क्षत्रप नहपान की
२. दुहिता, दीनीकपुत्र ऋषभदत्त की स्त्री दक्षमित्रा का धर्मदेय — के लिए दिया गया गुहावास।
महत्त्व
भारतीय उप-महाद्वीप में शकों की कई शाखाओं के शासन का विवरण मिलता है; यथा –
- तक्षशिला के शक शासक
- मथुरा के शक शासक : इसी वंश के शासक शोडास का एक एक अभिलेख मिलता है।
- पश्चिमी भारत के शक शासक : इसकी भी दो शाखाएँ थीं –
- एक, क्षहरात वंश : इसका सबसे प्रसिद्ध शासक नहपान हुआ।
- द्वितीय, कामर्दक वंश : इसका सबसे प्रसिद्ध शासक रुद्रदामन था।
प्रस्तुत अभिलेख नहपान की दुहिता दक्षमित्रा का है। इस अभिलेख से निम्न बातें स्पष्ट होती हैं :-
- एक, दक्षमित्रा नहपान की पुत्री थी।
- द्वितीय, नहपान के लिए क्षत्रप विरुद का प्रयोग किया गया है।
- तृतीय, दक्षमित्रा का विवाह उषावदत्त ( ऋषभदत्त ) से हुआ था।
- उषावदत्त ( ऋषभदत्त ) के पिता का नाम दिनीक था।
- दक्षमित्रा ने गुहादान किया था।