विष्णुगुप्त का नालंदा मुद्रालेख

भूमिका

नालंदा के उत्खनन में बहुत सारी मुद्रएँ प्राप्त होती है उन्हीं में से यह भी एक है। विष्णुगुप्त का नालंदा मु्द्रालेख उनमें से एक है परन्तु यह खंडित अवस्था में है।

संक्षिप्त परिचय

नाम :- विष्णुगुप्त का नालंदा मु्द्रालेख

स्थान :- नालंदा, बिहार

भाषा :- संस्कृत

लिपि :- ब्राह्मी

समय :- गुप्तकाल, विष्णुगुप्त का शासनकाल

विषय :- परवर्ती गुप्तराजवंशावली।

मूलपाठ

१. [महादेव्यामनन्त देव्यामुत्पन्नो] म[हाराजा][ि]धर[ा]ज श्री[पूरुगुप्तस्तस्य पुत्रस्तत्पादा]-

२. [नुध्यातो महादेव्यां श्री चन्द्रदेव्यामुत्पन्नो म]हाराजाधिराज श्री नरसिंह[गुप्त]स्तस्य पुत्रस्तत्पादानु[द्ध्यातो]

३. [महादेव्यां श्री मित्रदेव्यामुत्पन्नो महा]राजाधिराज श्री कुमारगुप्तस्तस्य पुत्रस्तपादानुध्यातो [महा]-

४. [देव्यां श्री — — — — देव्यामुत्प]नः परमभागवतो महाराधिराज श्री विष्णुगुप्त।

हिन्दी अनुवाद

[महादेवी अनन्तदेवी से उत्पन्न] महाराजाधिराज [श्री पूरुगुप्त; उनके पुत्र एवं पादानुध्यात [महादेवी. श्री चन्द्रदेवी से उत्पन्न] महाराजाधिराज श्री नरसिंहगुप्त; उनके पुत्र एवं पादानुध्यात [महादेवी श्री मित्रदेवी से उत्पन्न] महाराजाधिराज श्री कुमारगुप्त; उनके पुत्र एवं पादानुध्यात [महादेवी श्री देवी से उत्पन्न] परम भागवत महाराजाधिराज श्री विष्णुगुप्त।

टिप्पणी

विष्णुगुप्त का नालंदा मु्द्रालेख की छाप का यह खण्डित अवस्था में है। यह कुमारगुप्त (तृतीय) की मुहर में अंकित लेख के समान ही रहा होगा। अतः उसी के आधार पर अवशिष्ट अंश का संरक्षण किया गया है। अनुमान होता है कि उक्त लेख के अनुसार आरम्भ की पाँच पंक्तियाँ नहीं हैं, अतः उपलब्ध अंश को छठी पंक्ति मानकर यह मुहर वंश-क्रम की एक अगली पीढ़ी का परिचय देती है। इससे यह बात ज्ञात होती है कि विष्णुगुप्त कुमारगुप्त (तृतीय) का पुत्र था। उसकी माता का नाम अनुपलब्ध अंश में रहा होगा उसके अभाव में उसके सम्बन्ध की कोई जानकारी उपलब्ध करने का सम्प्रति कोई साधन नहीं है। विद्वानों ने इसकी पंक्ति को ६ से प्रारम्भ करके ९ तक माना है। हमने इसको १ से ४ तक क्रमांक दिया है।

विष्णुगुप्त का दामोदरपुर ताम्रलेख (पाँचवाँ) गुप्त सम्वत् २२४ (५४३ ई० )

नालंदा विश्वविद्यालय

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