
“प्राचीन भारत के अध्ययन के लिए पुरातात्त्विक सामग्री का विशेष महत्त्व है।”
उसके तीन प्रमुख कारण हैं—
- भारतीय ग्रंथों का रचनाकाल अस्पष्ट है, इसलिए उनसे काल विशेष की सामाजिकार्थिक स्थिति का ज्ञान नहीं होता।
- साहित्यिक साधन बहुधा लेखक-दृष्टिकोण-बाधित होने से सटीक चित्र प्रस्तुतीकरण में अक्षम हैं।
- ग्रंथों के प्रतिलिपिकारों ने इच्छानुसार अनेक प्राचीन प्रकरणों को छोड़ दिया और नये प्रकरण जोड़ दिये।
पुरातात्त्विक सामग्री में इस प्रकार के हेर-फेर करने की बहुत कम संभावना थी, इसलिए पुरातात्त्विक स्रोत अधिक विश्वसनीय हैं।