भूमिका
नानाघाट गुहा मूर्ति परिचयपट्ट महाराष्ट्र के पुणे जनपद के में नाणेघाट ( = नानाघाट ) नामक दर्रे से प्राप्त हुआ है। इस घाट में स्थित एक लयण की भित्ति पर क्रम से कुछ आकृतियाँ उत्कीर्ण थीं जो अब नष्ट हो गयी हैं। इन आकृतियों के ऊपर प्रत्येक आकृति का नाम प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में अंकित है।
संक्षिप्त परिचय
नाम :- नानाघाट गुहा मूर्ति परिचयपट्ट या नानाघाट लयण मूर्ति परिचयपट्ट ( Nanaghat cave idol plaque )
स्थान :- नाणेघाट या नानाघाट, पुणे जनपद, महाराष्ट्र
भाषा :- प्राकृत
लिपि :- ब्राह्मी
समय :- सातवाहनकाल
विषय :- मूर्तियों का परिचय
नानाघाट गुहा मूर्ति परिचयपट्ट : मूलपाठ
प्रथम
- राया सिमुक सातवाह—
- नो सिरिमातो [ । ]
द्वितीय
- देवि नायनिकाय रञो
- च सिरि-सातकनिनो [ । ]
तृतीय
- कुमारो भा—
- य१ ……….. [ । ]
चतुर्थ
- महारठि त्रनकयिरो [ । ]
पंचम
- कुमरो हुकसिरि [ । ]
षष्ठम्
- कुमारो सातवाहनो [ । ]
हिन्दी अनुवाद
प्रथम
राजा सिमुक सातवाहन श्रीमत्
द्वितीय
देवी नागनिका तथा राजा श्री सातकर्णि
तृतीय
कुमार भाय …… १
चतुर्थ
महारठी त्रणकयिर
पंचम
कुमार हकुश्री
षष्ठम्
कुमार सातवाहन
नानाघाट गुहा मूर्ति परिचयपट्ट
इन चित्र-पट्टों में अपने-आप ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे इनमें उल्लिखित व्यक्तियों के बीच किसी प्रकार के पारिवारिक और पारस्परिक सम्बन्ध की पुष्टि हो सके। परन्तु समझा जाता है कि ये सभी एक ही परिवार के व्यक्ति हैं।
द्वितीय मूर्ति-परिचय में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग हुआ है। इससे अनुमान किया गया है कि वह परिचय उस राज-दम्पत्ति का है, जिसके काल में ये चित्र उत्कीर्ण किये गये थे; अतः यह चित्र राजा सातकर्णि और उसकी रानी नागनिका का समझा जाता है।
द्वितीय परिचयपट्ट पहचान के आधार पर अनुमान किया जाता है कि पहला चित्र राजा सातकर्णि के पिता का होगा और इस प्रकार सिमुक सातवाहन को सातकर्णि का पिता समझा जाता है।
इसी क्रम में यह भी समझा जाता है कि चौथा चित्र रानी के पिता का होगा अर्थात् महारठी त्रणकयिर रानी नागनिका के पिता थे।
शेष अन्य चित्र राजकुमारों अर्थात् सातकर्णि और नयनिका के पुत्रों के अनुमान किये जाते हैं।
नासिक गुहा अभिलेख : सातवाहन नरेश कृष्ण